आईये ! पहले इस गीत का आनन्द लें ; इसके बाद "बाल चरित्र - निर्माण " में गीतों के महत्व को जानने का प्रयास स्वयं दुर्गम से सुगम हो जायेगा I
क्यों कि : -
दुर्गम काज जगत के जेते I
गीत तेरे साज़ का ,
तेरी ही आवाज़ हूँ I
तूँ भी मेरा साथी बन जा ,
मैं तेरी हमराज हूँ II
http://www.coversong.info/view/mp3/geet-tere-saaz-ka-teri-hi-awaaz-hoon-inteqaam.html
तुम्ही हो माता , पिता तुम्ही हो I
तुम्ही हो बंधू , सखा तुम्ही हो II
https://www.youtube.com/watch?v=GJ
A TINY TRIBUTE TO RETIRED & EMERITUS PROFESSOR OF LIBRARY & INFORMATION SCIENCE BANARAS HINDU UNIVERSITY VARANASI - 221005 IN THE MIDDLE ALONG WITH GURUMATA AND GRAND SONS .
प्रिय पाठकों !
संयोगवश आज मंगलवार है , सर्व प्रथम हम भक्त शिरोमणि संकटमोचक श्री हनुमान जी को प्रणाम कर ; जिनका जन्म मंगलवार को हुआ था एवम् प्रथम पूज्य प्रथमेश को ह्रदय में धारण कर " बाल गीत " ब्लॉग का श्री गणेश कर रहे हैं . निःसंदेह ! ये मनोरन्जक , ज्ञानवर्धक एवम् प्रेरणादायक " बाल - गीत " हमारे आज के नौनिहालों एवम् कल के सुयोग्य राष्ट्र निर्माताओं का निर्माण करेंगी .
तो लीजिये प्रस्तुत है :
"हे प्रभू ! आनन्द दाता ! ज्ञान हमनी ( हमको ) के मिले (दीजिये ) I
दूर हो हर एक बुराई , साँच ( सत्य ) के रहिया (रास्ते ) मिले II
इस गीत के दर्शन एवम् श्रवण के लिये नीचे दिए गए सुनहरे लिंक को क्लिक करने की अनुकम्पा करें I
हे प्रभु ! आनन्द दाता , ज्ञान हमनी के मिले I
https://www.youtube.com/watch?v=h0xuI-z4roI
पैदा होते ही मनुष्य 1. माता , 2. पिता 3. गुरू इन तीन ऋणों से युक्त रहता है .
इन सभी ऋणों मुक्ति तभी मिल सकती है , जब हम अपने माता - पिता , गुरुओं , बड़े -बूढ़ों की निःस्वार्थ सेवा , कनिष्ठों से प्रेम एवम् निर्बाध विद्यादान करें I
इस गीत के दर्शन एवम् श्रवण के लिये नीचे दिए गए सुनहरे लिंक को क्लिक करने की अनुकम्पा करें I
क्यों कि : -
दुर्गम काज जगत के जेते I
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते II
तेरी ही आवाज़ हूँ I
तूँ भी मेरा साथी बन जा ,
मैं तेरी हमराज हूँ II
http://www.coversong.info/view/mp3/geet-tere-saaz-ka-teri-hi-awaaz-hoon-inteqaam.html
तुम्ही हो माता , पिता तुम्ही हो I
तुम्ही हो बंधू , सखा तुम्ही हो II
https://www.youtube.com/watch?v=GJ
A TINY TRIBUTE TO RETIRED & EMERITUS PROFESSOR OF LIBRARY & INFORMATION SCIENCE BANARAS HINDU UNIVERSITY VARANASI - 221005 IN THE MIDDLE ALONG WITH GURUMATA AND GRAND SONS .
प्रिय पाठकों !
संयोगवश आज मंगलवार है , सर्व प्रथम हम भक्त शिरोमणि संकटमोचक श्री हनुमान जी को प्रणाम कर ; जिनका जन्म मंगलवार को हुआ था एवम् प्रथम पूज्य प्रथमेश को ह्रदय में धारण कर " बाल गीत " ब्लॉग का श्री गणेश कर रहे हैं . निःसंदेह ! ये मनोरन्जक , ज्ञानवर्धक एवम् प्रेरणादायक " बाल - गीत " हमारे आज के नौनिहालों एवम् कल के सुयोग्य राष्ट्र निर्माताओं का निर्माण करेंगी .
हमारे पूर्वजों का यह सत्य विश्वास रहा है कि " साहित्य , संगीत एवम् विविध कलाओं में इतनी चमत्कारी - शक्ति है की इनके पठन , श्रवण एवम् दर्शन मात्र से ही प्राणियों में मनोरन्जन , ज्ञान व प्रेरणा का संचार होता है ; जिससे उनका सांसारिक जीवन नैतिकता का स्वयम एक सजीव उदहारण बन जाता है .
जिनके अनुकरण मात्र से ही प्राणी मात्र का सर्वांगीण विकास होता होता है .तो लीजिये प्रस्तुत है :
"हे प्रभू ! आनन्द दाता ! ज्ञान हमनी ( हमको ) के मिले (दीजिये ) I
दूर हो हर एक बुराई , साँच ( सत्य ) के रहिया (रास्ते ) मिले II
इस गीत के दर्शन एवम् श्रवण के लिये नीचे दिए गए सुनहरे लिंक को क्लिक करने की अनुकम्पा करें I
हे प्रभु ! आनन्द दाता , ज्ञान हमनी के मिले I
https://www.youtube.com/watch?v=h0xuI-z4roI
पैदा होते ही मनुष्य 1. माता , 2. पिता 3. गुरू इन तीन ऋणों से युक्त रहता है .
इन सभी ऋणों मुक्ति तभी मिल सकती है , जब हम अपने माता - पिता , गुरुओं , बड़े -बूढ़ों की निःस्वार्थ सेवा , कनिष्ठों से प्रेम एवम् निर्बाध विद्यादान करें I
इस गीत के दर्शन एवम् श्रवण के लिये नीचे दिए गए सुनहरे लिंक को क्लिक करने की अनुकम्पा करें I